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मीडिया सूचना का उद्योग है। सूचनाएं भाषा के जरिये आम और खास तक पहुंचती हैं। भाषा जितनी सशक्त होगी, मीडिया का कार्य उतना ही आसान। इस प्रकार मीडिया के लिए भाषा की गुणवत्ता उसके संसाधनों की प्रमुख इकाई है, जो सूचनाओं को प्रसारित करने में परिवहन की भूमिका निभाती है। परिववहन जितन अच्छा होगा, उतनी ही सुगम होगी सूचनाओं की यात्रा। यह भी सच है कि भाषा पर अधिकार पाना सहज नहीं। इस सन्दर्भ में श्रीरामचरितमानस की चौपाई अच्छा संकेत देती है।
श्याम गौर किमि कहौं बखानी। गिरा अनयन नयन बिनु बानी।।
अर्थात-वाणी बिना नेत्र की है और नेत्र के वाणी नहीं है।
इसके बावजूद कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया जाए, तो भाषा को सुगम बनाया जा सकता है। वाक्य छोटे हों तो अधिक आसानी से ग्रहण किए जाते हैं। शब्द सरल हों और उनका उचित प्रयोग किया जाए, तो भाषा सशक्त बनती है। प्रवाह बनाए रखने के लिए वाक्यों का सन्दर्भ एक दूसरे से जुड़ा होना चाहिए। वाक्यों का सम्बंध एक दूसरे से बनाए रखने के लिए अनावश्यक रूप से संयोजक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। संयोजक शब्दों का अधिक प्रयोग किया जाता है, तो भाषा जटिल और दुरूह हो जाती है।
Posted by idea4media at 8:35 AM 0 comments
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